दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है, जिससे आम आदमी पार्टी (आप) का दस वर्षों का शासन समाप्त हो गया है। भाजपा ने 70 में से 48 सीटें हासिल कीं, जबकि आप केवल 22 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस पार्टी लगातार तीसरी बार एक भी सीट जीतने में असफल रही।
चुनाव परिणाम और प्रमुख आंकड़े
पार्टी | सीटें (2025) | सीटें (2020) | सीटों में परिवर्तन |
---|---|---|---|
भाजपा | 48 | 8 | +40 |
आप | 22 | 62 | -40 |
कांग्रेस | 0 | 0 | 0 |
इस चुनाव में भाजपा ने 47.15% वोट शेयर प्राप्त किया, जबकि आप का वोट शेयर 43.57% रहा।
प्रमुख नेताओं की हार
आप के प्रमुख नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वे अपनी सीट बचाने में असफल रहे। उनके साथ ही उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य वरिष्ठ मंत्री भी अपनी-अपनी सीटों से हार गए।
भाजपा की रणनीति और अभियान
भाजपा ने अपने अभियान में भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दों को प्रमुखता दी। ‘परिवर्तन यात्रा’ के माध्यम से पार्टी ने आप सरकार पर भ्रष्टाचार, ‘शीश महल’ विवाद, शराब नीति में अनियमितता और यमुना नदी प्रदूषण जैसे मुद्दों को उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहिणी में एक रैली के दौरान आप सरकार को ‘आपदा’ करार दिया और जल संकट, प्रदूषण आदि मुद्दों पर सरकार की आलोचना की।
भाजपा के घोषणापत्र में महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और वंचित समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर जोर दिया गया। महिला समृद्धि योजना के तहत महिलाओं को ₹2,500 प्रति माह, गर्भवती महिलाओं को ₹21,000 और छह पोषण किट, वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और निराश्रित महिलाओं के लिए पेंशन में वृद्धि, एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी और झुग्गी बस्तियों में ₹5 में भोजन उपलब्ध कराने के लिए अटल कैंटीन स्थापित करने का वादा किया गया।
आप की चुनौतियाँ और विफलताएँ
आप सरकार ने पिछले दस वर्षों में स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कई कार्य किए, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों और नेतृत्व की विश्वसनीयता पर सवालों ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया। लोकनीति-सीएसडीएस सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग दो-तिहाई मतदाताओं ने आप सरकार को भ्रष्ट माना, जिसमें 28% ने इसे अत्यधिक भ्रष्ट करार दिया। शराब नीति में अनियमितता और मुख्यमंत्री निवास पर अत्यधिक खर्च जैसे मुद्दों ने भी पार्टी की साख को प्रभावित किया।
कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस पार्टी लगातार तीसरी बार दिल्ली विधानसभा में एक भी सीट जीतने में असफल रही। हालांकि, पार्टी का वोट शेयर पिछले चुनाव की तुलना में थोड़ा बढ़ा, लेकिन 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
नई सरकार की चुनौतियाँ
भाजपा की नई सरकार के सामने दिल्ली की समस्याओं का समाधान करना एक बड़ी चुनौती होगी। जल संकट, प्रदूषण, स्वच्छता और बुनियादी ढांचे में सुधार जैसे मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, पार्टी को अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे ताकि जनता का विश्वास बना रहे।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम ने राजधानी की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा है। भाजपा की प्रचंड जीत और आप की हार ने यह स्पष्ट किया है कि मतदाता विकास, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की अपेक्षा रखते हैं। नई सरकार के सामने चुनौतियाँ तो हैं, लेकिन सही नीतियों और क्रियान्वयन से दिल्ली को एक नई दिशा में ले जाया जा सकता है।