महाकुंभ 2025 के आयोजन के संदर्भ में समाजवादी पार्टी के प्रमुख, अखिलेश यादव, ने हाल ही में कई टिप्पणियाँ की हैं, जो राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक चर्चा का विषय बनी हैं। उनकी आलोचनाओं ने न केवल उत्तर प्रदेश सरकार बल्कि केंद्र सरकार के मंत्रियों और आम जनता का भी ध्यान आकर्षित किया है।
महाकुंभ 2025: पृष्ठभूमि
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 वर्षों में चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक—में से एक पर आयोजित होता है। 2025 में, यह आयोजन प्रयागराज में हो रहा है, जहाँ करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना, और सरस्वती नदियों के संगम पर स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं।
अखिलेश यादव की टिप्पणियाँ
अखिलेश यादव ने महाकुंभ 2025 के आयोजन और उससे संबंधित व्यवस्थाओं पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने विशेष रूप से संगम के जल की गुणवत्ता, आयोजन में हुई भगदड़, और महाकुंभ के ऐतिहासिक तथ्यों पर टिप्पणी की है।
जल की गुणवत्ता पर सवाल
अखिलेश यादव ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि प्रयागराज में गंगा का जल मल से प्रदूषित है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को जब बताया तब ये समाचार प्रकाश में आया कि प्रयागराज में गंगा जी का जल मल संक्रमित है।” उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे को दबाने का प्रयास कर रही है।
भगदड़ की घटना पर आलोचना
महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ की घटना पर अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने इसे “सबसे बड़ी प्रशासनिक विफलता” करार देते हुए कहा कि सरकार श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रही है। उन्होंने मांग की कि इस घटना की उच्च-स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके।
महाकुंभ के ऐतिहासिक तथ्यों पर टिप्पणी
अखिलेश यादव ने महाकुंभ के आयोजन के इतिहास पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 144 वर्षों बाद महाकुंभ होने का दावा गलत है और भाजपा सरकार इसे अपनी उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत कर रही है। उनकी इस टिप्पणी के बाद लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल की एक छात्रा ने उन्हें पत्र लिखकर महाकुंभ के वास्तविक इतिहास की जानकारी दी और बताया कि महाकुंभ हर 12 वर्षों में आयोजित होता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
अखिलेश यादव की इन टिप्पणियों पर विभिन्न राजनीतिक नेताओं और मंत्रियों ने प्रतिक्रिया दी है।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की प्रतिक्रिया
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अखिलेश यादव की टिप्पणियों को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया। उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षों में कोई भी ऐसा आयोजन हुआ है जिस पर भारत को गर्व हो… विपक्ष ने उस पर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की है।” उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ में 60 करोड़ से अधिक लोगों ने पवित्र स्नान किया है, और यह आयोजन दुनियाभर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा नेताओं ने भी अखिलेश यादव की टिप्पणियों की निंदा की है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन पर नकारात्मक टिप्पणी करना अनुचित है और यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का अपमान है। भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा कि सरकार ने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं और विपक्ष केवल राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे बयान दे रहा है।
सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
अखिलेश यादव की टिप्पणियों के बाद, समाज के विभिन्न वर्गों से भी प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। विशेष रूप से, लखनऊ की एक छात्रा ने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर महाकुंभ के इतिहास और महत्व के बारे में जानकारी दी। उसने लिखा, “अखिलेश अंकल, मैंने आज आपका वीडियो देखा। आप कह रहे थे महाकुंभ जैसा शब्द कहाँ से आता है? सो मैंने पत्र भी लिखा है कि ये महाकुंभ जैसा क्या होता है?”
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 के आयोजन पर अखिलेश यादव की टिप्पणियाँ राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक चर्चा का विषय बनी हैं। उनकी आलोचनाओं ने न केवल सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए हैं, बल्कि महाकुंभ के ऐतिहासिक तथ्यों और सांस्कृतिक महत्व पर भी बहस छेड़ी है। इस संदर्भ में, यह आवश्यक है कि सभी पक्ष तथ्यों और संवेदनशीलता के साथ इस मुद्दे पर विचार करें, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की गरिमा बनी रहे और जनता के विश्वास को ठेस न पहुँचे।