बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले अपने मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण फेरबदल किया है। इस प्रक्रिया में सात नए मंत्रियों को शामिल किया गया है, जिनमें से पांच पहली बार मंत्री बने हैं, जबकि दो को पुनः मौका मिला है। इसके साथ ही, कई मौजूदा मंत्रियों के विभागों में भी बदलाव किए गए हैं।
नए मंत्रियों का विभाग आवंटन
नए शामिल हुए मंत्रियों को निम्नलिखित विभाग सौंपे गए हैं:
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संजय सरावगी: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग। इससे पहले, यह विभाग भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के पास था, जिन्होंने कैबिनेट विस्तार से पहले इस्तीफा दे दिया था।
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सुनील कुमार: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग।
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राज कुमार सिंह: पर्यटन विभाग।
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मोतीलाल प्रसाद: कला, संस्कृति एवं युवा विभाग।
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जीवेश कुमार: नगर विकास एवं आवास विभाग।
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विजय मंडल: आपदा प्रबंधन विभाग।
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मंटू सिंह: सूचना प्रौद्योगिकी विभाग।
मौजूदा मंत्रियों के विभागों में बदलाव
इस फेरबदल में कुछ मौजूदा मंत्रियों के विभागों में भी परिवर्तन किया गया है:
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उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा: पहले पथ निर्माण विभाग संभाल रहे थे, अब उन्हें कृषि विभाग सौंपा गया है।
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नितिन नवीन: पहले नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रभारी थे, अब उन्हें पथ निर्माण विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।
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मंगल पांडेय: उनसे कृषि विभाग वापस लेकर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा को सौंपा गया है; अब वे स्वास्थ्य और विधि विभाग देखेंगे।
राजनीतिक संदर्भ
इस मंत्रिमंडल विस्तार और विभागीय फेरबदल का उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सरकार की कार्यक्षमता को बढ़ाना और विभिन्न क्षेत्रों में विकास को गति देना है। भाजपा कोटे से शामिल नए मंत्रियों को महत्वपूर्ण विभाग सौंपकर पार्टी ने अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने का प्रयास किया है। इसके साथ ही, मौजूदा मंत्रियों के विभागों में बदलाव करके सरकार ने प्रशासनिक संतुलन स्थापित करने की कोशिश की है।
इस फेरबदल के माध्यम से नीतीश कुमार ने यह संकेत दिया है कि वे आगामी चुनावों से पहले सरकार की छवि को सुधारने और जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सक्रिय हैं। नए मंत्रियों के शामिल होने से सरकार को नई ऊर्जा मिलेगी, जिससे विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है।
इस प्रकार, बिहार में यह मंत्रिमंडल विस्तार और विभागीय फेरबदल राज्य की राजनीतिक और प्रशासनिक दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है, जो आगामी चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन की रणनीति को दर्शाता है।