कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने हाल ही में पार्टी नेतृत्व और संगठनात्मक ढांचे पर अपनी असंतोष जाहिर की है। उनकी टिप्पणियों ने राजनीतिक हलकों में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, जिससे कांग्रेस के भीतर संभावित मतभेदों पर प्रकाश डाला गया है।
पार्टी में भूमिका को लेकर असमंजस
18 फरवरी 2025 को, शशि थरूर ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की। इस बैठक में, उन्होंने पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर स्पष्टता की मांग की और शिकायत की कि महत्वपूर्ण संसदीय बहसों में उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। थरूर ने कहा, “मुझे संसद में महत्वपूर्ण बहसों में बोलने का मौका नहीं मिलता। पार्टी में मुझे इग्नोर किया जा रहा है, और मैं पार्टी में अपनी स्थिति को लेकर असमंजस में हूं।”
पार्टी लाइन से हटकर बयान
थरूर ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की सराहना की, जिसे कांग्रेस के आधिकारिक रुख से अलग माना गया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के कुछ महत्वपूर्ण परिणाम देश के लोगों के लिए अच्छे हैं। मैं एक भारतीय के रूप में इसकी सराहना करता हूं।”
इसके अलावा, थरूर ने केरल की वामपंथी सरकार की औद्योगिक नीतियों की भी प्रशंसा की, जिससे राज्य की कांग्रेस इकाई में असंतोष बढ़ा। केरल कांग्रेस के मुखपत्र ‘वीक्षणम डेली’ ने थरूर को नसीहत देते हुए लिखा कि उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव से पहले पार्टी की उम्मीदों को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए।
बगावती तेवर और चेतावनी
थरूर ने स्पष्ट किया कि वह कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन अगर पार्टी को उनकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है, तो उनके पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी के लिए उपलब्ध हूं, लेकिन अगर पार्टी को मेरी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है, तो मेरे पास दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं।”
पार्टी में साइडलाइन होने के कारण
थरूर की नाराजगी के पीछे कई कारण हैं:
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संगठन में साइडलाइन होना: कई महत्वपूर्ण पदों और भूमिकाओं में उन्हें नजरअंदाज किया गया है, जिससे वह खुद को पार्टी में हाशिए पर महसूस कर रहे हैं।
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संसदीय बहसों में अवसर की कमी: महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलने के लिए उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं, जिससे उनकी असंतोष बढ़ी है।
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राज्य नेतृत्व में भूमिका की अस्पष्टता: केरल में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर स्पष्टता की कमी है, और थरूर ने राज्य में पार्टी की अपील को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
भविष्य की संभावनाएं
थरूर ने संकेत दिया है कि अगर कांग्रेस ने अपनी अपील का विस्तार नहीं किया, तो पार्टी केरल में लगातार तीसरी बार विपक्ष में बैठ सकती है। उन्होंने स्वतंत्र संगठनों द्वारा किए गए ओपिनियन पोल का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में नेतृत्व के मामले में वह दूसरों से आगे हैं।
कुल मिलाकर, शशि थरूर की टिप्पणियां कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रहे आंतरिक मतभेदों और चुनौतियों को उजागर करती हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पार्टी नेतृत्व इन मुद्दों को कैसे संबोधित करता है और आगामी चुनावों में एकजुटता कैसे सुनिश्चित करता है।