colourcoverage.com

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की याचिका खारिज

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की याचिका खारिज

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की याचिका खारिज

हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह एक विदेशी देश का मामला है, और भारतीय न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र वहां लागू नहीं होता। याचिका में केंद्र सरकार से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी।

याचिका का उद्देश्य और न्यायालय की प्रतिक्रिया

यह याचिका लुधियाना के उद्योगपति राजेश ढांडा द्वारा दायर की गई थी, जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत करते हुए बताया कि याचिकाकर्ता इस्कॉन से जुड़े हैं और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह विदेश नीति से संबंधित मामलों में सरकार को निर्देश नहीं दे सकता और यह मामला भारत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की वर्तमान स्थिति

बांग्लादेश में हाल के महीनों में हिंदू, बौद्ध, और ईसाई समुदायों पर हमलों की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के अनुसार, अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से, अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस अवधि में, सैकड़ों हिंदू घरों, व्यवसायों, और मंदिरों पर हमले हुए हैं, जिससे समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल बना है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की भूमिका

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने चिंता व्यक्त की है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन घटनाओं पर गहरी चिंता जताई है और बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने भी बांग्लादेश में मानवाधिकारों की स्थिति पर नजर रखी है। हालांकि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि अल्पसंख्यकों पर हमलों की रिपोर्ट्स बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई हैं।

न्यायालय का दृष्टिकोण और विदेश नीति

भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप की सीमाओं को रेखांकित करता है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि विदेशी देशों में हो रही घटनाओं पर हस्तक्षेप करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और यह कार्य कार्यपालिका, विशेष रूप से विदेश मंत्रालय, के अंतर्गत आता है। यह दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में न्यायिक और कार्यकारी शाखाओं के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे हमलों की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। हालांकि, भारतीय न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र सीमित होने के कारण, वे सीधे तौर पर ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। इसलिए, यह आवश्यक है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और संबंधित सरकारें मिलकर ऐसे मुद्दों का समाधान करें और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

Exit mobile version